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सूफ़ी तालीमात

तसव्वुफ़, जिसे इस्लामी रहस्यवाद भी कहा जाता है, इस्लाम के अंदर एक रूहानी रास्ता है जो अल्लाह के क़रीब होने के लिए बातिनी सफ़र पर तवज्जो मरकूज़ करता है। कुरान और हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की तालीमात में जड़ पकड़ा हुआ, तसव्वुफ़ इलाही को समझने और तजुर्बा करने के लिए एक गहरा और तब्दीली पैदा करने वाला नुक्ता-ए-नज़र पेश करता है। इस मजमून में, हम तसव्वुफ़ की बुनियादी तालीमात में दाखिल होंगे और उसके उसूलों और मश्कों का जायज़ा लेंगे।

 

१. तसव्वुफ़ की असल:

तसव्वुफ़ के दिल में यह ए'तिराफ़ है के अल्लाह हक़ीक़ी हक़ीक़त है और इंसानी रूह इलाही के साथ इत्तेहाद की ख़्वाहिश रखती है। सूफ़ी दिल को पाक करने, नफ़्स से ख़ुदी की तलाश, और अल्लाह की मर्ज़ी के सामने सर तस्लीम ख़म करने की एहमियत पर ज़ोर देते हैं। वह मानते हैं के हक़ीक़ी इल्म और समझ बराह-ए-रास्त तजुर्बे और वज्दान के ज़रिए आती है, जो महज़ अक़्ली फ़हम को अबूर कर जाती है।

२. मोहब्बत और अकीदत:

मोहब्बत सूफ़ी तालीमात का मरकज़ है। सूफ़ी इलाही मोहब्बत (इश्क़) के तसव्वुर को अपने रूहानी सफ़र के पीछे मुतहर्रिक क़ुव्वत के तौर पर क़बूल करते हैं। वह अल्लाह के लिए गहरी और ग़ैर मशरूत मोहब्बत पैदा करने की कोशिश करते हैं, साथ ही तमाम मख़लूक़ात के लिए मोहब्बत और हमदर्दी भी। इबादत जैसे नमाज़, ज़िक्र-ए-अल्लाह, और शायरी और हम्द-ओ-नात की तिलावत के ज़रिए, सूफ़ी इलाही के साथ एक क़रीबी ताल्लुक़ क़ायम करने की कोशिश करते हैं।

३. अंदरूनी पाकीज़गी:

तसव्वुफ़ मंफी सिफ़ात और ताल्लुक़ात से रूह की पाकीज़गी पर बहुत ज़ोर देता है। सूफ़ी रूहानी बीमारियों जैसे ख़ुद परस्ती, लालच, और हसद की मौजूदगी को तस्लीम करते हैं और ख़ुद पर क़ाबू पाने और ख़ुद आगाही के ज़रिए इन पर क़ाबू पाने की कोशिश करते हैं। वह ख़ुद शनासी, मुराक़बा, और अंदरूनी ग़ौर-ओ-फ़िक्र जैसे मश्कों में मशग़ूल रहते हैं ताकि अपने दिल और दिमाग़ को साफ़ कर सकें, जो रूहानी तरक़्क़ी और रोशनी के रास्ते को साफ़ करता है।

४. रूहानी रहनुमा का किरदार:

तसव्वुफ़ में, एक रूहानी उस्ताद, जिसे शेख़ या मुरशिद कहा जाता है, की रहनुमाई को बहुत एहमियत दी जाती है। रूहानी रहनुमा एक मुरब्बी के तौर पर काम करता है और रूहानी बेदारी के रास्ते पर रहनुमाई, हिमायत, और तहरीक़ फ़राहम करता है। तलब-ए-इल्म और रहनुमा के दरमियान रिश्ता ए'तमाद, एहतराम, और बराह-ए-रास्त तजुर्बे के ज़रिए रूहानी हिकमत की तरसील पर मब्नी होता है।


५. रक़्स और वज्दानी मश्क़ें:

तसव्वुफ़ का सब से पहचाने जाने वाला पहलू रक़्स की मश्क़ है, जो मौलवी सिलसिला (जो के रक़्स करने वाले दरवेशों के नाम से मशहूर है) के ज़रिये मशहूर हुई है। यह मशहूर कुन रक़्स एक क़िस्म का फ़ा'आल मुराक़बा है जो रूहानी बुलंदी और दुनियावी तश्वीशात से बेनियाज़ी की अलामत है। घूमने की इस हरकत के ज़रिये, सूफ़ी अल्लाह के साथ वज्दानी इत्तेहाद की हालत तक पहुँचने का मक़सद रखते हैं, जिस्मानी दुनिया की हदूद से मावरा हो कर।

६. इत्तेहाद और रवादारी:

तसव्वुफ़ इत्तेहाद के उसूल की तालीम देता है, इस बात पर ज़ोर देते हुए के तमाम रास्ते बिल आख़िर एक ही मक़सद की तरफ़ ले जाते हैं—अल्लाह के साथ इत्तेहाद। सूफ़ी मज़हबी और सक़ाफ़ती रिवायात की तना'उ को तस्लीम करते हैं और बैन-उल-मज़ाहिब मुक़ालमा, अफ़हम-ओ-तफ़हीम और रवादारी को फ़रोग़ देते हैं। वो हर इंसान की फितरी क़दर पर यक़ीन रखते हैं और रूहानी सफ़र के लाज़मी पहलुओं के तौर पर हमदर्दी, मेहरबानी और इंसाफ़ की हिमायत करते हैं।

 

तसव्वुफ़ रूहानियत के लिए एक अमीर और गहरा नुक्ता-ए-नज़र पेश करता है, जो मुहब्बत, अकीदत, अंदरूनी पाकीज़गी, और इलाही इल्म के हुसूल पर तवज्जो मरकूज़ करता है। इसकी तालीमात मुतालाशीओं को अल्लाह के साथ गहरा ताल्लुक़ क़ायम करने और ऐसी ख़ूबियाँ पैदा करने का रास्ता फ़राहम करती हैं जो ज़ाती तब्दीली और दुनिया के साथ हमआहंग ताल्लुक़ात की तरफ़ ले जाती हैं। तसव्वुफ़ की तालीमात को अपना कर, अफ़राद खुद शनासी और रूहानी रौशनी के एक तब्दीली के सफ़र पर निकल सकते हैं।

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