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सवाल ८ : ख्वाब के मुताबिक वाक़िआ पेश आए तो मुरीद क्या करे?
जवाब: अगर ख्वाब में कोई बात देखे फिर उसी तरह ज़ाहिर हो तो उस को करामत नहीं समझे। आम लोगों के साथ भी ऐसा हो जाता है। उसी तरह अगर कोई ख्याल दिल में आया और उस के मुवाफ़िक हुआ तो यह भी करामत नहीं है। इस मुरीद को यह तसव्वुर करना चाहिए कि जो कुछ मेरे दिल में ख्याल आया, मैंने देखा जो हक़ीक़तन ज़ाहिर हुआ, यह सब मेरे पीर के कल्ब-ए-अनवार का कमाल है। उन के नूर-ए-अनवार का परतव है जो मेरे कल्ब पर गिर रहा है जिस की बदोलत मुझे हक़ नज़र आ रहा है।
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