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सवाल ४ : मुरीद की नींद कैसी होनी चाहिए?

जवाब: मुरीद की नींद ऐसी होनी चाहिए जैसे नबी करीम (सल्लल्लाहू अलैहे वसल्लम) का इर्शाद-ए-ग्रामी है कि मेरी आँखें सोती हैं और मेरा दिल नहीं सोता। ऐसी नींद ना सोए जिसमें अपने वुजूद से बेखबर हो जाए। कहते हैं दो आदमियों को नींद नहीं, एक मुब्तला'ए दर्द-ए-फिराक को रंज ओ ग़म के सबब दूसरा वासिल को लुत्फ़ ओ लज़्ज़त के सबब से यह भी कहते हैं कि अहल-ए-यक़ीन को नींद बहुत आती है क्योंकि उनके दिल में रंज ओ ग़म नहीं रहता, इत्मिनान के सबब ख़ुब सोते हैं मगर जब के तमाम उम्र उनकी बेइदारी में गुज़री है तो उनकी तबीयत जागने ही की आदी हो जाती है।

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