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सवाल २१ : सत्तर अस्सी साल का बूढ़ा आदमी अगर राह-ए-तसव्वुफ़ में आता है तो क्या वह कामयाब होगा?
जवाब: इस उम्र का बुढ़ा आदमी ना सख़्त रियाज़त कर सकता है, ना सख्त मुजाहिदा कर सकता है, बल्कि इसको यह ज़रूरत है कि कोई शख्स इसकी ख़िदमत किया करे। लिहाज़ा इसके लिए यही काफ़ी है कि यह पाँचों वक़्त नमाज़ बजमात अदा करे, विर्द-व-वज़ायफ पढ़े, और ख़िलवत में बैठ कर आँखें और मुंह बंद करे, और मुराक़बा में मशगूल हो। मशगूली का जो तरीक़ा पीर बताये उस पर अमल करे, अगर इसके दिल में पीर की मोहब्बत है तो ज़रूर कुछ न कुछ हासिल हो जाएगा।
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