top of page

सवाल १४ : मुरीद को खाना खाते वक़्त ज़िक्र करना चाहिए या खामोशी के साथ खाना चाहिए?

जवाब: मुरीद खाना खाते वक़्त 'ला इलाहा इल्लाह' का जिक्र या और कोई जिक्र करता रहे ताकि 'तो तुम उसमें से खाओ, जिस पर अल्लाह का नाम लिया गया (कुरान ६:११८)' का मिस्दाक़ बने। खाने के हर लुक्मे और पानी के हर घूंट पर 'बिस्मिल्लाह' पढ़ता जाए। बाज़ बुज़ुर्गान हर लुक्मे और हर घूंट पर 'बिस्मिल्लाह' मा फ़ातिहा पढ़ते थे। यह ताज्जुब की बात नहीं है, जितनी देर में लुक्मे उठाया जाता है चबाया और निंगला जाता है उतनी देर में सूरह फ़ातिहा पढ़ सकते हैं। हाँ, जो बुज़ुर्गान हर लुक्मे पर 'ख़ात्म-ए-क़ुरआन शरीफ' करते हैं, यह उनकी करामत में दाखिल है। हर शख़्स ऐसा नहीं कर सकता है।

bottom of page