top of page

सवाल १२ : क्या सूफ़ीया-ए-कराम को ऐतेकाफ करना चाहिए?

जवाब: सूफ़िया कराम ऐतेकाफ की बड़ी रायत फरमाते हैं। बाज़ ने चालीस रोज़ का और बाज़ ने तीन चिल्लो का ऐतेकाफ इख्तियार किया। बाज़ ने रमज़ान के आख़िरी अशरे का ऐतेकाफ ही काफी समझा।

ऐतेकाफ की तीन किस्में हैं।
एक ऐतेकाफ मु'ईन जो सभी को मालूम है और आम लोग ऐतेकाफ करते हैं।
दूसरा ऐतेकाफ दुवाम जो हर वक़्त मो'तकिफ़ होता है।
तीसरा ऐतेकाफ दिल, यानी अहल-ए-दिल अपने ख़ाना-ए-दिल के अंदर ऐतेकाफ करते हैं, या यूँ कहिए कि यह जो दिल हमारे पास है, हम अपने दिल से इस दिल पर ऐतेकाफ करते हैं।

bottom of page