आज, हम सक्रिय ध्यान की दुनिया में गोता लगाएंगे, जो उन लोगों के लिए एक शानदार तरीका है जो ध्यान के पुराने तरीको को मुश्किल पाते हैं। इंग्लिश में हम इसे "एक्टिव मेडिटेशन" कहते हैं और उर्दू में हम इसे "फाल मुराक़बा" कहते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं!
ध्यान कुछ के लिए डरावना हो सकता है। कुछ लोगो को अकेले में अपने ख्यालो के साथ ख़ामोशी से बैठने का ख्याल भारी लग सकता है। लेकिन फ़िक्र न करे। सक्रिय ध्यान, ध्यान को एक ताज़ा नज़रिया देता है। ख़ामोशी पर ध्यान जमाने के बजाय, हम अपनी एनर्जी को एक ऐसे अमल (काम) में लगाते हैं जो हमारा ध्यान अपनी तरफ खींचती है।
सक्रिय ध्यान में, आप कोई भी अमल (काम) चुन सकते हैं जो आपको पसंद हो और जिसका असर आप पर अच्छा पड़ता हो। यह टहलना, बागवानी करना या खाना बनाना जितना आसान हो सकता है। यहाँ मकसद ये है की अपनी पूरी दिमागी ताकत अपने चुने हुए काम पर लगा दे, मौजूदा हाल में खुद को पूरी तरह से डुबो दे।
चलिए मिसाल (उदाहरण) के लिए हम “टहलने” को लेते हैं। जैसे ही आप “टहलना” शुरू करते हैं, “टहलने” की हर पहलू पर ध्यान दे। अपने पैरों की हरकत, अपने कदमों की ताल और अपने जिस्म के एहसासात पर ध्यान दें। अपने हवास (इंद्रियों) को पूरी तरह से मसगूल (व्यस्त) रखें और अपने आसपास की दुनिया को गौर से देखे यानी दृष्टा बन जाए ।
जगहों, आवाज़ों और महक पर ध्यान दें। यहाँ और अभी में हाजिर रहें (उस पल में रहे), अपने आप को उस पल में पूरी तरह से डूबने दें। जब आप ऐसा करते हैं, तो आप देखेंगे कि परेशान करने वाले ख्याल और शक ख़तम होने लगते हैं।
सक्रिय ध्यान के कई फायदे है। यह खुद आगाही (आत्म-जागरूकता) को बेहतर बनाता है, जिससे हम अपने जिस्म और दिमाग के साथ ज्यादा तालमेल बिठा पाते हैं। यह तनाव और चिंता से आजादी दिलाकर हमारी जहनी सेहत (मानसिक स्वास्थ्य) को बेहतर बनाता है। और सबसे जरुरी बात यह है कि यह सेहत को हर तरह से बेहतर बनाता है।
रोज सक्रिय ध्यान करने से, आप अपने रोजमर्रा की ज़िन्दगी में गहरी होशमंदी पैदा कर सकते हैं। आप अपने आप को और अधिक हाजिर यानी उस पल में जीने वाला, अपने आसपास की दुनिया से और अधिक जुड़ा हुआ, और अपने बातिन (अंतर्मन) के साथ ज्यादा सुर में पाएंगे।
अब, सक्रिय ध्यान शुरू करने में आपकी मदद करने के लिए आइए कुछ ख़ास बाते बताता हूँ। सबसे पहले, एक ऐसा अमल (काम) चुनें जो वाकई में आपकी दिलचस्पी को मुतासिर करे। यह कुछ भी हो सकता है। कुछ ऐसा ढूंढ़े जो आपको खुशी दे और आपमें चाहत जगाए।
अगला, अपने ध्यान के लिए जरुरी माहौल बनाएं। यह तय करें कि आपके पास अपने चुने हुई अमल (काम) के लिए काफी जगह और वक्त है। अपने आप को बिना किसी रुकावट के पूरी तरह से अमल में डूबने दें।
जैसे ही आप अपना अमल शुरू करते हैं, अपना ध्यान मौजूदा पल पर लाएं। आप जो कर रहे हैं उसके अहसासात, हरकात (गतिविधियों) और बारीकियों पर ध्यान दें। किसी भी तरह की जांच परख या उम्मीदों को छोड़ दें, और बस अपने आप को पूरी तरह से मौजूदा पल में होने दें।
याद रखें, सक्रिय ध्यान तजुर्बे को कुबूल करने और अपने आपको मौजूदा हाल में डुबो देने के बारे में है। आपके चुने हुए अमल के जरिये अपने दिमाग को पुरसुकून (शांत) और साफ़ होने की इजाजत दें।
खुलासा ये है की, सक्रिय ध्यान होशमंदी और अंदरूनी सुकून पाने के लिए एक मुतहरिक (गतिशील) और पुरकशिश (आकर्षक) तरीका है। अपनी एनर्जी को एक चुने हुए अमल की ओर मोड़कर, आप बेहतर खुद आगाही (आत्म-जागरूकता), बेहतर दिमागी तंदुरुस्ती और मौजूदा पल से अधिक जुड़ाव को महसूस कर सकते हैं।
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