सवाल:
शरीअत और तरीक़त के वुज़ू का राज़ क्या है?
जवाब:
मुरीद को हमेशा बा-वुज़ू रहना चाहिए। वुज़ू से दिल को शिफ़ा हासिल होती है और तबीयत का मलाल दूर होता है। हमेशा बा-वुज़ू रहना चेहरे पर नूर पैदा करता है। जैसे ही हम वुज़ू करते हैं, एक गयबी निजाम हमारे वुजूद के साथ चलने लगता है। यूं समझ लें जैसे आग बुझाने वाले एक ऐसा लिबास पहनते हैं जिससे वो आग उन पर असर अंदाज़ न करें तो गोया जब आप वुज़ू कर लेते हैं तो आप ऐसा गयबी और नूरानी लिबास पहन लेते हैं जो आप की हिफ़ाज़त में हमेशा बेदार रहता है। इसी लिए कहा गया है के अगर वुज़ू करके सो जाएं तो कोई शैतान उसको नुक़सान नहीं पहुँचा सकता है और उसी हालत में इंतिक़ाल हो जाए तो वो शहीद की मौत है। और हमारे बुज़ुर्गान-ए-दीन फ़रमाते हैं के अगर सोते सोते आँख खुल जाए तो उठ कर वुज़ू कर लें और "तहिय्यत अल-वुज़ू" पढ़ कर सोए, अल्लाह हमारी ज़ुबानों में तासीर पैदा फरमा देता है। इस राह में चलना आसान कर देता है।
आज कल की जो औरतें हैं वो शिकायत करती हैं के उनके बच्चे ना फ़रमान हो गये हैं। उनके बच्चे उनकी बात नहीं सुनते। यहाँ तक के वो इतने परेशान हाल हो जाते हैं के कहते हैं के यह बच्चे ना होते तो बेहतर था। मगर इस की असल वजह यही है के क्या उन्होंने वुज़ू करके दूध पिलाया। और जिन्होंने भी वुज़ू करके दूध पिलाया वो यह देखे गए हैं के उनके बच्चे फ़रमानबरदार हो गए हैं। उनके बच्चों में विलायती खूबी दाखिल हो जायेगी। क्यूंकि वुज़ू से किए काम में अल्लाह तआला का फ़ज़ल शामिल रहता है। हर माँ अपने बच्चे को वुज़ू के साथ दूध पिलाये ताके वो अपने वालिदैन और अल्लाह और उसके रसूल ﷺ का भी फ़रमानबरदार बन जाएं। एक वक़्त था दूध पिलाने का वो तो गुज़र गया अब क्या करें तो उनके लिए ये है के वो वुज़ू के साथ खाना बनाएं। अगर वुज़ू के साथ खाना बनाते हैं तो वो वुज़ू के असरात कुछ और होंगे। बीमारी है तो वो उस खाने की बदौलत दूर हो जाएगी। बीमारी दवाओं से नहीं दूर होती बल्कि वो दवा के अंदर जो अल्लाह तबारक व ताला ने शिफ़ा रखी है उस से होती है वरना हमने देखा है हज़ारों जो दवा खाते हैं उनको उसका साइड इफ़ेक्ट हो जाता है। जब वो वुज़ू के साथ खाना बनाती है तो वो देखेंगें के उनके शोहर के अंदर एक नयी बात पैदा हो गयी है। वुज़ू के साथ बनाने का मक़्सद ये है के एक गयबी निजाम उनके साथ क़ायम हो जाता है। कुछ हमारे अहल-ए-तरीक़त का कहना है के हम तो तरीक़त के वुज़ू से हैं शरीअत के वुज़ू की क्या ज़रूरत। तो उन के लिए ये है के तरीक़त के वुज़ू से रहने के बाद भी आप शरीअत के वुज़ू से रहें तो वो देखें गए के उनकी रूहानियत में चार चाँद लग गए हैं।
सब से बड़ा मुजाहिदा ये है आप वुज़ू से रहें। और हमने अपने बुज़ुर्गों के बारे में सुना और पढ़ा है के हज़रत सय्यदना गौस पाक रदियअल्लाहु अनहु 40 साल तक इशा के वुज़ू से फज्र की नमाज़ अदा की है। इमाम-ए-आज़म अबु हनीफ़ा रदियअल्लाहु अनहु ने इशा के वुज़ू से 50 साल तक फज्र की नमाज़ अदा की। जिन को हम अपने सर का ताज मानते हैं जिन की वजह से हम क़ादरी चिश्ती हनफ़ी लगाते हैं तो उन के आमाल बताते हैं के हमें शरीअत के वुज़ू से भी रहना चाहिए।
तरीक़त का वुज़ू क्या है तो शरीअत के वुज़ू को समझते हुए तरीक़त के वुज़ू को समझो। पहले हम हाथ में पानी लेते हैं तो इस के अंदर ये राज़ पोशिदा है के पानी साफ़ है या गंदा है। अब तरीक़त के वुज़ू में है के पहले हाथ का वुज़ू कराया जाता है। इस से मुराद ये है के ये हाथ किसी ग़ैर के सामने नहीं फैलाएंगे। ये हाथ जब उठाएंगे तो लोगों की भलाई के लिए उठाएंगे। और तीसरी बात ये है के इस को गुनाहों में मलहूज़ नहीं करेंगे। जिस तरह शरीअत में मुंह में पानी लेते हैं तो इस से मुराद अब हम इस ज़ुबान से जो भी कलिमात कहेंगे पाक कहेंगे। अल्लाह का ज़िक्र करेंगे। नाक में पानी डालने से मुराद है के दुनिया की बू से अपने नाक को बचाएंगे और मदीना तय्यिबा की ख़ुशबू को इस नाक में बसाएंगे। अवलिया-ए-कराम की ख़ुशबू से अपनी नाक को मोअत्तर करेंगे। चेहरे को धोने से मुराद है अपने चेहरे को हमेशा अल्लाह और उसके रसूल ﷺ की तरफ़ रखेंगे। किसी ग़ैर-ए-हक़ की तरफ़ अपने चेहरे को नहीं करेंगे। इंसान के सब से ज़्यादा जो गुनाह होते हैं वो आँख से होते हैं। आँख को धोने से मुराद है के इस आँख को ग़लत चीज़ें देखने से बचाएंगे। कान को ग़लत बातों को सुनने से इज्तेनाब करेंगे। और सर के मसह से मुराद है के इस में आने वाले ख़यालात बद ख़यालात से इस को बचाएंगे और तसव्वुर-ए-शेख़ इस में क़ायम करेंगे। और अपने पैरों को धोने का मक़्सद है के अपने पैरों को ग़लत राह में जाने से रोकेंगे। शरीअत-ए-मुतहहरा की तरफ़ हर क़दम को बढ़ाएंगे और तरीक़त की राह में चलते रहेंगे।
किताब: निसाब-ए-तसव्वुफ़ (उर्दू)
पेज नंबर: 26
लेखक: सरकार मारूफ़ पीर मद्दाज़िल्लाहुल आली
Assalamu 'Alaykum wa Rahmatullahi wa Barakatuhu
Assalatu Wassalamu Alaika Ya Rasool Allah sallallahu alaihi wasallam
I have the ultimate trust, respect and faith in my peer o murshid
May all our shaykhs be blessed with good and a healthy life. ameen.
Wa'alaykum 'Assalam wa Rahmatullahi wa Barakatuhu