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निष्क्रिय ध्यान : गहरी आत्म-जागरूकता

आज, हम निष्क्रिय ध्यान की दुनिया में गोता लगाएंगे, इसे उर्दू में गैर फआल मुराक़बा और इंग्लिश में पैसिव मैडिटेशन कहते हैं । एक ताक़तवर ध्यान या मुराक़बा जो आपको अपने और अपने आसपास की दुनिया के बारे में गहरी समझ हासिल करने में मदद कर सकता है। तो चलिए शुरू करते हैं !


निष्क्रिय ध्यान या गैर फआल मुराक़बा या पैसिव मैडिटेशन ध्यान का एक गैर मामूली यानी यूनिक तरीका है जहां आप बिना किसी जिस्मानी हलचल के मानसिक क्रिया मतलब जहनी मश्क में लग जाते हैं। यह मुराक़बा होशमंद होने और अपने बारे में गहरी समझ पैदा करने के बारे में है।


गैर फआल मुराक़बे की ख़ूबसूरती इसकी सादगी में है। जैसे आराम से बैठना यानी ऐसी हालत में बैठना जो आपके लिए आरामदायक हो और एक खास चीज पर ध्यान जमाना इसमें शामिल है। इस मुराक़बे में सबसे जरुरी चीज़ है आपका ध्यान मतलब आपका फोकस । एक टॉपिक या ख्याल पर ध्यान ज़माने से हमारा दिमाग एक खास हालत में जा सकता है जो हमारे लिए अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में आसानी से नहीं हासिल होता है। इस बात को थोड़ा और समझने की कोशिश कीजिये । रोजमर्रा की जिंदगी में अक्सर हमारे पास बहुत सारे ख्याल और जिम्मेदारियाँ होती हैं जो हमारा ध्यान बांटती हैं। लेकिन जब हम किसी एक टॉपिक या ख्याल पर अपना पूरा ध्यान ज़माते हैं, तो हम उसमें पूरी तरह डूब जाते हैं, जिससे गहरा जुड़ाव और गहरी समझ का दरवाजा खुल जाता है। यह मुराक़बा हमें अपने ख्यालों को बारीकी से देखने और समझने में मदद करता है जो तब छूट सकता है जब हमारा दिमाग कई कामो में बिखरा हुआ हो।


गैर फआल मुराक़बा कई तरीके से हो सकता है , लेकिन सबसे आसान है एक कुर्सी या गलीचे पर आराम से बैठना और अपने ध्यान को एक टॉपिक या ख्याल पर जमाना। यह टॉपिक या ख्याल कुछ ऐसा होना चाहिए जो आपको दिलचस्प और सुकून देनेवाला लगे, जैसे कोई शौक जो आपको ख़ुशी देता हो।


चाहे तो आप किसी पसंदीदा शौक, एक सुकून देनेवाली छवि या शुकर और हमदर्दी जैसे अहसास पर ध्यान जमा सकते है। जरुरी बात यह है कि इस चुने हुए मौजू टॉपिक पर अपना ध्यान जमाये और अपने दिमाग को इसके साथ पूरी तरह से जुड़ने दें। तसव्वुफ़ में, हम आम तौर पर मुराक़बे के दौरान दोनों आँखों के बीच अपने पीर-ओ-मुर्शीद के चेहरे पर ध्यान केंद्रित करते हैं जिसे तसव्वुर-ए -शैख़ कहा जाता है।


जब आप गैर फआल मुराक़बा करते रहेंगे, तो आप होशमंदी और अपने आसपास की दुनिया के साथ अपने ताल्लुक, इसकी एक बढ़ी हुई समझ को नोटिस करना शुरू कर देंगे। यह खुद की खोज का एक खूबसूरत सफर है।


अब, गैर फआल मुराक़बा कैसे करना है उसके बारे में बात करते हैं। सबसे पहले, एक पुरसुकून और आरामदेह जगह ढूंढ ले जहाँ आप आसानी से डिस्टर्ब न हों। एक ऐसा माहौल बनाएं जो आराम और सुकून वाला हो ।


अब, एक ऐसी बैठने की पोजीशन ढूंढे जो आपके लिए आरामदेह हो। आप एक कुर्सी पर पैर नीचे रखकर बैठ सकते है या तो किसी कालीन पर पैर मोड़ कर बैठ सकते है। ध्यान रहे ऐसी बैठक चुने जो मुराक़बे के दौरान तनाव न पैदा करे और साथ-साथ आपको होशमंद रहने में मदद करे।


एक बार जब आप तैयार हो जाएं, तो अपना ध्यान चुनें। यह एक सामान, एक छवि, एक ख्याल या एक गुरुमंत्र यानी आपके पीर का दिया हुआ ज़िक्र हो सकता है। आप जो भी चुनते हैं, मजबूत यकीन बनाये कि यह कुछ ऐसा है जो आपके लिए बहुत अहमियत रखता है और आप पर उसके असरात होते है।


अब धीरे से अपनी आंखें बंद करें और अपना ध्यान अपने चुने हुए टॉपिक पर लाएं। अब किसी तरह का दखल डाले बिना पैदा होने वाले ख्याल या अहसास को देखते हुए, अपने दिमाग को अपने टॉपिक पर टिका कर रखे।

याद रखें, मकसद ख्यालो को दबाना नहीं है, बल्कि केवल उनका मुशाहिदा (observe) करना है और उन्हें जाने देना है। हर बार जब आप अपने मन को भटकते हुए पाए , तो धीरे से अपना ध्यान वापस चुने हुए टॉपिक पर ले आये।


शरुवात थोड़े वक़्त के साथ करे और धीरे-धीरे वक़्त बढ़ाएं इससे आप आसानी महसूस करेंगे। यहाँ तक कि हर दिन कुछ मिनटों का निष्क्रिय ध्यान यानी गैर फआल मुराक़बा भी आपके रूहानी सफर पर गहरा असर डाल सकता है।


खुलासा यह है की गैर फआल मुराक़बा खुद आगाही पैदा करने और अपने और अपने आसपास की दुनिया के बारे में हमारी समझ को गहरा करने के लिए एक ताक़तवर जरिया है। सिर्फ बैठकर, आराम से, और किसी चुने हुए मौजू पर ध्यान ज़माने से, हम दिमाग की उस अवस्था यानी हालत को पा सकते है जो आसानी से नहीं हासिल होती हैं।

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