top of page
बैयत या आध्यात्मिक शपथ
व्हाट्सएप बैयत उर्दू_संपादित.png

सूरह: 48 (अल-फतह) | आयत : 10 (तरजुमा)

बे-शक जो लोग आप से बै'अत करते हैं, वो दरअसल अल्लाह से बै'अत कर रहे हैं। अल्लाह का हाथ उनके हाथों पर है। पस जो उसकी बात को तोड़ता है वो उसे अपने ही नुक़्सान के लिए तोड़ता है। और जो इसको पूरा करेगा जिसका उस ने अल्लाह से वादा किया है तो वो उसे बहुत बड़ा अजर देगा।

शजरा

सूफ़ी तालीमात की तर्सील पीर-ओ-मुर्शिद और मुरीद के दरमियान मुक़द्दस रिश्ते के ज़रिए होती है। ये रिश्ता एक मुस्तनद सूफ़ी हुक्म के सिलसिले में एक अहम तआल्लुक़ क़ायम करता है, बिलआख़िर इसकी जड़ें इज़्ज़त म'आब हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मिलती हैं। शजरा-ए-नसब (शजरा-ए-तैय्यबा) के नाम से जाना जाता है, ये सिलसिला-ए-आग़ाज़ या सिलसिला-ए-रूहानी इल्म और रहनुमाई की नस्ल दर नस्ल मुन्तक़िल का सबूत है।

सिलसिला के मौजूदा शेख़ मुहम्मद सलीम शाह क़ादरी अल-चिश्ती तनवीरी पीर मद्ज़िल्लह-उल-आ'ली को दो अहम सूफ़ी सिलसिला, क़ादरी और चिश्ती के ज़रिए नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से जोड़ता है। इनमें से हर एक का नाम सिलसिला के एक मुम्ताज़ शेख़ के नाम पर रखा गया है।

क़ादरी सिलसिला सूफ़ी रिवायात में एक अहम मक़ाम रखता है। इसका सिलसिला-ए-नसब मुहतरम शेख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रज़ियल्लाह 'अन्हु से मिलता है, जो एक मशहूर रूहानी शेख़ और इस्लामी तारीख़ की एक क़ाबिल-ए-एहतराम शख़्सियत हैं। सदियों पर मुहीत मिरास के साथ, क़ादरी सिलसिला ने गहरी रूहानी तालीमात फराहम करने और इलाही से गहरा तआल्लुक़ क़ायम करने में अहम किरदार अदा किया है। आज, क़ादरी सिलसिला के पेरोकार इसकी तालीमात से तहरीक हासिल करते हुए, अल्लाह से अकीदत और मोहब्बत के रास्ते पर रूहानी तरक़्क़ी, रहनुमाई और रोशन ख़्याली की तलाश में हैं।

चिश्ती सिलसिला एक क़ाबिल-ए-एहतराम सूफ़ी सिलसिला है जो इलाही मोहब्बत और रूहानी रोशन ख़्याली का जौहर रखता है। मुहतरम शेख़ मोइनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह 'अलैहि से मशहूर होने वाले, एक क़ाबिल-ए-एहतराम बुज़ुर्ग और सूफ़ी, चिश्ती सिलसिला ने इस्लाम के रूहानी मंज़र नामा पर अमिट नक़्श छोड़े हैं। हमदर्दी, अज़िज़ी, और इंसानियत की ख़िदमत की अक़्दार पर ज़ोर देने के लिए जाना जाता है, चिश्ती सिलसिला ने लातादाद मुतलाशियों को रूहानी बेदारी की राह पर गामज़न किया है। इसकी तालीमात तमाम मख़्लूक़ात के इत्तेहाद और हर दिल में इलाही मौजूदगी के गहरे एहसास को घेरे हुए हैं। आज, चिश्ती सिलसिला रूहों की रहनुमाई और तरक़्क़ी जारी रखे हुए है, इलाही के साथ गहरा तआल्लुक़ बढ़ाता है और पूरी दुनिया में मोहब्बत और हम-आहंगी का पैग़ाम फैलाता है।

याद रखें:

  • शज़रा हुजूर पुर नूर सैयद-उल-आलमीन हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तक एक मरबूत रास्ता है

  • सिलसिला-ए-मुक़द्दस के इस्मा-ए-गिरामी का विर्द करने से रहमतों की बारिश शुरू हो जाती है।

  • नाम ले कर अपने असलाफ़ को ईसाल-ए-सवाब पेश करते हैं और फिर हमारे असलाफ़ की नज़र हम पर पड़ती है।

  • शज़रा पढ़ने वाला जब मुसीबत के वक्त उनके इस्मा का विर्द करेगा तो उसकी मदद की जाएगी इसलिये हर मरीद को चाहिए के नमाज़-ए-फ़जर के बाद अपना शज़रा मुबारक रूहानी तौर पर पढ़े या किसी भी वक्त पढ़ कर सआदत हासिल करे।

नोट: शज़रा पढ़ना क़बर में रखने से अफ़ज़ल है।

शजरा-ए-कादरिया

सूफी तनवीरी पीर_शजरा-ए-कादरिया_अंग्रेजी

अंग्रेजी शजरा

सूफी तनवीरी पीर_शजरा-ए-कादरिया_उर्दू

उर्दू शजरा

सूफी तनवीरी पीर_शजरा-ए-कादरिया_हिन्दी

हिंदी शजरा

शजरा-ए-चिश्तिया

सूफी तनवीरी पीर_शजरा-ए-चिश्तिया_इंग्लिश

अंग्रेजी शजरा

सूफी तनवीरी पीर_शजरा-ए-चिश्तिया_उर्दू

उर्दू शजरा

सूफी तनवीरी पीर_शजरा-ए-चिश्तिया_हिन्दी

हिंदी शजरा

bottom of page